Dard Shayari
जिंदगी जीने कि तमन्ना है,
साथ मरने कि ख्वाहिश है,
साथ मरने कि ख्वाहिश है,
अगर तु ना हीं मिले,
तुझे याद करने कि आदत है।
इस प्यार से वो अनजान रही,
जिसे इस दिल♡ ने चाहा था,
शायद वो समझ पाती इस दिल♡ कि मोहब्बद को,
क्या प्यार का इजहार करना जरुरी था...!
ना जाने जिदंगी में क्या लिखा था,
जो हासिल-न्-हूआ उसका कोई गम न् था,
इस चेहरे पर जो मुस्कान है,
उसका कारण बस वो ही था...!
इस चेहरे पे हंसी थी,
पर आखों-मे-नमी थी।
इस हस्रोतो कि दुनिया मे,
ना जाने किसकी कमी थी...!
उस खुदा का वास्ता है,
उसे मेने दिलो जान से चाहा है,
ये तो नसीब अपना है,
कि आज भी वो मेरे प्यार से अनजान है...!
जिंदगी के कुछ हसीन पल तुने जिए है,उसका कारण वो ही था,
आज तुझे अकेले हि संभलना है, कल तक जो तुझे उसका साथ था,
तेरे दिल की मोहब्बत थी, आँखो में सपना था,
इसे अपना नसीब मत समज, ये तो खुदा का कुछ अलग हि कयदा था...!
में देख रहा था, वो सामने खडी़ थी,
में सुन रहा था, वो पास आके कुछ कहने लगी थी,
उसने मुँह मोड़ लिया, मेने पलके झुकां ली,
कुछ देर के लिए अपनी सांसे रोक ली,
मोहब्बत से हारकर फिरसे खडा़ हुँ,
क्योकि जज्बातों के साथ हमे जिंदगी जिनी थी...!
मेरी आखों में उसकी जो तस्विर थी,
उसकी जगह़ अब आसुंऔ ने लेली...!
मेरे दिल में तेरी मौजुदगी का एहसास तुम्हें हों जाता,
अगर सपनें टुंट जाने का ड़र मेरे दिल में न् होता...!
तुझे याद करने कि आदत है।
इस प्यार से वो अनजान रही,
जिसे इस दिल♡ ने चाहा था,
शायद वो समझ पाती इस दिल♡ कि मोहब्बद को,
क्या प्यार का इजहार करना जरुरी था...!
ना जाने जिदंगी में क्या लिखा था,
जो हासिल-न्-हूआ उसका कोई गम न् था,
इस चेहरे पर जो मुस्कान है,
उसका कारण बस वो ही था...!
इस चेहरे पे हंसी थी,
पर आखों-मे-नमी थी।
इस हस्रोतो कि दुनिया मे,
ना जाने किसकी कमी थी...!
उस खुदा का वास्ता है,
उसे मेने दिलो जान से चाहा है,
ये तो नसीब अपना है,
कि आज भी वो मेरे प्यार से अनजान है...!
जिंदगी के कुछ हसीन पल तुने जिए है,उसका कारण वो ही था,
आज तुझे अकेले हि संभलना है, कल तक जो तुझे उसका साथ था,
तेरे दिल की मोहब्बत थी, आँखो में सपना था,
इसे अपना नसीब मत समज, ये तो खुदा का कुछ अलग हि कयदा था...!
में देख रहा था, वो सामने खडी़ थी,
में सुन रहा था, वो पास आके कुछ कहने लगी थी,
उसने मुँह मोड़ लिया, मेने पलके झुकां ली,
कुछ देर के लिए अपनी सांसे रोक ली,
मोहब्बत से हारकर फिरसे खडा़ हुँ,
क्योकि जज्बातों के साथ हमे जिंदगी जिनी थी...!
मेरी आखों में उसकी जो तस्विर थी,
उसकी जगह़ अब आसुंऔ ने लेली...!
मेरे दिल में तेरी मौजुदगी का एहसास तुम्हें हों जाता,
अगर सपनें टुंट जाने का ड़र मेरे दिल में न् होता...!
कभी दिल में लिखा करता था तुझे,
आज हथेली पर नाम लिखकर छोड़ दिया...!
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